जम्मू-कश्मीर एक बार फिर एक दर्दनाक हादसे का गवाह बना है। डोडा जिले में एक मिनी बस गहरी खाई में गिर गई, जिसमें अब तक 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 16 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। यह हादसा राज्य में सड़क सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े करता है।
हादसा कैसे हुआ?
यह भीषण हादसा 15 जुलाई 2025 को सुबह के समय हुआ, जब डोडा जिले में एक मिनी बस अनियंत्रित होकर गहरी खाई में गिर गई। बस में कुल 21 लोग सवार थे और अधिकतर यात्री स्थानीय निवासी बताए जा रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन की माने तो बस एक मोड़ पर नियंत्रण खो बैठी और सीधे गहरी खाई में गिर गई। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन, पुलिस और बचाव दल तुरंत मौके पर पहुंचे और राहत कार्य शुरू किया।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने एक ज़ोरदार टक्कर और मदद के लिए चीख-पुकार सुनी। गिरने के ज़ोर से बस के कई हिस्से चकनाचूर हो गए, जिससे कुछ यात्री वाहन से बाहर गिर गए और कुछ अन्य मलबे में दब गए।
मृतकों और घायलों की स्थिति-जम्मू कश्मीर बस हादसा
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मौके पर ही 4 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक घायल ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
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16 लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उन्हें नज़दीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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कुछ लोगों की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
मृतकों की पहचान
स्थानीय प्रशासन की मदद से मृतकों की पहचान की जा रही है। अधिकतर मृतक स्थानीय गांवों से हैं और किसी काम या निजी कारण से सफर कर रहे थे।
राहत और बचाव कार्य-जम्मू कश्मीर बस हादसा
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, राजस्व विभाग, और स्वास्थ्य विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं। खाई में फंसे लोगों को निकालने के लिए राहत और बचाव अभियान तेज़ी से चलाया गया।
स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन की मदद की और घायलों को स्ट्रेचर के जरिए सड़क तक लाया गया।
सरकार ने निम्नलिखित मुआवज़ा राशि जारी की है:
- प्रत्येक मृतक के परिवार को ₹5 लाख
- गंभीर रूप से घायलों को ₹1 लाख
- मामूली रूप से घायल लोगों को ₹25,000
डोडा जिले में सड़क हादसे आम क्यों हैं?
डोडा, जम्मू-कश्मीर का एक पहाड़ी और संवेदनशील इलाका है। यहां की सड़कों की हालत अक्सर खराब रहती है। तेज़ मोड़, गहरी खाइयां और बरसात के मौसम में फिसलन के कारण यहां दुर्घटनाएं आम हैं।
प्रमुख कारण-जम्मू कश्मीर बस हादसा
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खराब सड़कें और अव्यवस्थित मोड़
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ओवरलोडिंग और वाहन का पुराना होना
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तेज़ रफ्तार और लापरवाही से गाड़ी चलाना
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सड़क किनारे सुरक्षा दीवारों का अभाव
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार:
पिछले दो वर्षों में जम्मू क्षेत्र में 1,200 से ज़्यादा सड़क दुर्घटनाएँ हुईं।
530 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से लगभग 40% दुर्घटनाओं के लिए मिनी बसें ज़िम्मेदार हैं।
बटोटे-डोडा-किश्तवाड़ राजमार्ग, अस्सार और मरमत जैसे दुर्घटना-प्रवण खंडों में क्रैश बैरियर, रिफ्लेक्टिव साइनबोर्ड, स्पीड ब्रेकर और वाहन निगरानी प्रणाली जैसे बुनियादी ढाँचे में तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया-जम्मू कश्मीर बस हादसा
जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) ने जानकारी दी कि हादसे में गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं और मुआवज़े की घोषणा जल्द की जा सकती है। साथ ही घायलों का मुफ्त इलाज करवाया जा रहा है।
डोडा के उपायुक्त ने कहा कि हादसे की जांच के आदेश दे दिए गए हैं और दोषी पाए जाने वाले वाहन मालिक या ड्राइवर पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चश्मदीदों की ज़ुबानी
हादसे के चश्मदीद एक स्थानीय निवासी ने बताया,
“बस एकदम तेज़ रफ्तार से आ रही थी और अचानक मोड़ पर असंतुलित होकर गिरी। आवाज़ इतनी तेज़ थी कि दूर तक सुनाई दी। हम सब दौड़ते हुए नीचे पहुंचे।”
राजनेताओं और नेताओं की प्रतिक्रिया
हादसे की जानकारी मिलते ही कई स्थानीय और राष्ट्रीय नेताओं ने शोक व्यक्त किया। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने ट्वीट कर कहा:
“डोडा में हुए बस हादसे की खबर से बहुत दुखी हूं। मृतकों के परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। राहत कार्य तेज़ी से चल रहा है।”
सोशल मीडिया पर भावनाएं
जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर फैली, लोगों ने दुख और आक्रोश व्यक्त किया। ट्विटर, फेसबुक, और इंस्टाग्राम पर #DodaAccident, #JammuBusCrash जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
लोगों ने मांग की है कि डोडा और अन्य पहाड़ी इलाकों की सड़कों की स्थिति में सुधार किया जाए और वाहनों की नियमित जांच की जाए।
क्या यह हादसा टाला जा सकता था?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वाहन की हालत की समय-समय पर जांच होती और सड़क की स्थिति बेहतर होती, तो इस तरह के हादसे टाले जा सकते हैं। ड्राइवर की ट्रेनिंग और सड़क सुरक्षा नियमों का पालन अनिवार्य होना चाहिए।
भविष्य के लिए क्या कदम जरूरी हैं?
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सड़क मरम्मत और सुरक्षा दीवारों का निर्माण
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वाहनों की तकनीकी जांच और ओवरलोडिंग पर रोक
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ड्राइवरों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
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पर्वतीय मार्गों पर गति सीमा का पालन सुनिश्चित करना
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रैपिड रेस्क्यू सिस्टम की स्थापना
निष्कर्ष
डोडा में हुआ यह दर्दनाक हादसा न सिर्फ कुछ परिवारों की खुशियां छीन ले गया, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक चेतावनी है। अब वक्त है कि सरकार, प्रशासन और आम नागरिक मिलकर सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता दें।
जीवन अनमोल है और हर एक कदम सोच-समझकर उठाना चाहिए।
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